समता और भाईचारे की यात्रा, कांवड़ यात्रा : स्वामी रामभजन वन जी महाराज हरिद्वार

बिक्रमजीत सिंह

हरिद्वार (संसार वाणी) चतुर्मास में कनाडा प्रवास पर पहुंचे तपोनिधि पंचायती अखाड़ा निरंजनी मायापुर हरिद्वार उत्तराखंड भारत के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन महाराज ब्राम्पटन के हनुमान मंदिर चल रहे सत्संग समारोह में उपस्थित श्रद्धालुओं को कांवड़ यात्रा का महत्व बतलाते हुए कहा कि हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक चतुर्मास में पड़ने वाले श्रावण के महीने में कांवड़ यात्रा का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि कांवड़ यात्रा के माध्यम से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। उन्हें केवल एक लोटा जल चढ़ा कर प्रसन्न किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि वहीं यह भी मान्यता है कि शिव बहुत जल्दी क्रोधित भी होते हैं।लिहाजा इस कांवड़ यात्रा के दौरान मांस, मदिरा, तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए और न ही कांवड़ का अपमान (ज़मीन पर नहीं रखना चाहिए) किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा शिवो भूत्वा शिवम जयेत, यानी शिव की पूजा शिव बन कर करो को चरितार्थ करती है। यह समता और भाईचारे की यात्रा भी है। सावन जप, तप और व्रत का महीना है।शिवलिंग के जलाभिषेक के दौरान भक्त पंचाक्षरमहामृत्युंजय आदि मंत्रों का जप भी करते हैं।

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