23 सितम्बर सोमबार को होगा “जितिया” का नहाय खाय,24 सितम्बर मंगलवार को होगा पुरे दिन-रात व्रत ,25 यानि बुधवार को संध्या 05.05 के बाद व्रती हेतु होगा पारण – पंडित तरुण झा—

बिक्रमजीत सिंह

हरिद्वार (संसार वाणी) ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान,डॉ. रहमान चौक सहरसा के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी ने बताया हैं, की हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका का व्रत मनाया जाता हैं,जीवित्पुत्रिका व्रत को भक्ति और उपासना के सबसे कठिन व्रतों में एक माना जाता है बिहार में इस पर्व को जितिया के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए व्रत रखती हैं माताएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं! मिथिला विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार:-1) नहाय खाय:- 23 सितम्बर 2024 सोमवार !!!2) ओठगन, स्त्रिणाँ विशिष्ट भोजनं= 23 सितम्बर ,को रात्री अंत यानि 4.30 सुबह तक़ उत्तम !!!3) निर्जला व्रत :- 24 सितम्बर 2024, मंगलवार (दिन -रात )4) पारण :- 25 सितम्बर 2024,बुधवार को सायं 05.05 के बाद होगा पारण व्रत के पीछे की कथा ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी बताते है की जितिया के पीछे की कहानी यह है की महाभारत युद्ध में पिता की मृत्‍यु के बाद अश्वत्थामा बहुत क्रोधित था,पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पांडवों के शिविर गया और उसने पांच लोगों की हत्‍या कर दी, उसे लगा कि उसने पांडवों को मार दिया लेकिन पांडव जिंदा थे, जब पांडव उसके सामने आये, तो उसे पता लगा कि वह द्रौपदी के पांच पुत्रों को मार आया है,यह सब देखकर अर्जुन ने क्रोध में अश्वस्थामा को बंदी बनाकर दिव्‍य मणि को छीन लिया अश्वत्थामा ने इस बात का बदला लेने के लिए अभिमन्‍यु की पत्‍नी उत्‍तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने की योजना बनाई,उसने गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया,जिससे उत्‍तरा का गर्भ नष्‍ट हो गया लेकिन उस बच्चे का जन्म लेना बहुत जरूरी था, इसलिए भगवान कृष्‍ण ने उत्‍तरा की अजन्‍मी संतान को गर्भ में ही फिर से जीवित कर दिया,गर्भ में मरकर जीवत होने की वजह से इस तरह उत्‍तरा के पुत्र का नाम जीवितपुत्रिका पड़ गया और तब से ही संतान की लंबी आयु के लिए जितिया व्रत किया जाने लगा!

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