स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के कर कमलों से एफएमपीसी, 2024 के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन का पोस्टर रिलीज…..

बिक्रमजीत सिंह

ऋषिकेश फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर (एफ एमपीसी 2024) का छठा राष्ट्रीय सम्मेलन एम्स ऋषिकेश और एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (एएफपी आई) उत्तराखंड चैप्टर के चिकित्सकों की टीम में स्वामी जी से भेंट कर 28 और 29 सितंबर 2024 को एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड होने वाले सम्मेलन में आशीर्वाद प्रदान करने हेतु किया आमंत्रित छठा राष्ट्रीय सम्मेलन सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग एम्स ऋषिकेश और एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (एएफपी आई) उत्तराखंड चैप्टर के सहयोग से आयोजित किया जा रहा सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे संतु निरामया सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें स्वच्छ वातावरण स्वस्थ जीवन स्वामी चिदानन्द सरस्वती ऋषिकेष, 19 मई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के कर कमलों से फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर (एफएमपीसी 2024) का छठा राष्ट्रीय सम्मेलन का पोस्टर रिलिज़ किया। साथ ही स्वास्थ्य चेतना स्मारिका भी भेंट की।एम्स ऋषिकेश और एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (एएफपीआई) उत्तराखंड चैप्टर के चिकित्सकों की टीम ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर 28 और 29 सितंबर 2024 को एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड होने वाले सम्मेलन में आषीर्वाद, सान्निध्य व मार्गदर्षन प्रदान करने हेतु आमंत्रित किया।

यह राष्ट्रीय सम्मेलन सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग, एम्स ऋषिकेश और एकेडमी ऑफ फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया (एएफपीआई) उत्तराखंड चैप्टर के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष के सम्मेलन का मुख्य विषय ’सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की नींव के रूप में प्राथमिक देखभाल के रूप में चिकित्सक’ रखा गया है, जो राष्ट्र के स्वास्थ्य और कल्याण को आकार देने में प्राथमिक देखभाल हेतु चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देता है। सम्मेलन के एजेंडे में नवीन देखभाल मॉडल, निवारक स्वास्थ्य देखभाल रणनीतियों और पारिवारिक चिकित्सा और प्राथमिक देखभाल में पुरानी स्थितियों और गंभीर बीमारियों के प्रबंधन पर चर्चा की जायेगी। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हम भारतीयों की प्रतिदिन की प्रार्थना में ’सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयाः’ का मंत्र समाहित है। अर्थात् ’सभी सुखी रहें, सभी रोगमुक्त रहें’। ’’स्वास्थ्य’’ जैविक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं से मिलकर बना है। स्वास्थ्य अर्थात् केवल बीमारियों का न होना ही नहीं है बल्कि यह भोजन, सुरक्षा, शुद्ध जलापूर्ति, आवास, साफ-सफाई, शुद्ध व स्वच्छ वायु और तनाव मुक्त चयनित जीवनशैली आदि से भी प्रभावित होता है।

उपरोक्त सभी बातों का उचित समन्वय व संतुलन ही स्वस्थ्य को आकार प्रदान करता है।स्वामी जी ने कहा कि स्वास्थ्य अर्थात् शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति न कि केवल रुग्णता या बीमारी की अनुपस्थित। स्वास्थ्य किसी भी राष्ट्र के लिए जरूरी विषय है। बिना स्वस्थ समाज के किसी भी देश का आर्थिक, औद्योगिक व सांस्कृतिक विकास संभव नहीं है। खराब स्वास्थ्य के कारण शारीरिक क्षमता में कमी आती है जो हमारे उत्पादकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है और उसी के अनुरूप हमारी आर्थिक व सामाजिक स्थिति भी प्रभावित होने लगती है। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों की स्वास्थ्य समस्याओं भी पहाड़ों के जैसे ही होती है इसलिये यहां पर उपचारात्मक चिकित्सा की अपेक्षा निवारक स्वास्थ्य उपायों पर अधिक जोर देना होगा। स्वामी जी ने कहा कि किसी भी देश के लिए उसके नागरिकों का स्वास्थ्य एक बड़ी पूंजी होता है। यदि देशवासी स्वस्थ हैं तो देश भी स्वस्थ व समृद्ध होगा। भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है परन्तु अभी और बहुत कुछ करना बाकी है। भारत में स्वास्थ्य संरचना, उपचार, परीक्षण व शोध पर निरंतर कार्य करने की आवश्यकता है ताकि सबके उत्तम स्वास्थ्य का सपना साकार हो सके। स्वामी जी ने चिकित्सकों की टीम को आगामी 28 और 29 सितंबर 2024 को एम्स ऋषिकेश में फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के छठे राष्ट्रीय सम्मेलन के सफलतापूर्वक समापन हेतु अनेकानेक शुभकामनायें प्रदान की।

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