प्रसिद्ध कथावाचक सुश्री जया किशोरी जी पधारी परमार्थ निकेतन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंट कर लिया आशीर्वाद

बिक्रमजीत सिंह

ऋषिकेश कथाओं के माध्यम से युवाओं में संस्कार व संस्कृति का संवर्द्धन तथा पर्यावरण संरक्षण का संदेश प्रसारित करने और पौधा रोपण के लिये प्रेरित करने हेतु हुई विशेष चर्चा*ऋषिकेश, 20 अप्रैल। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी और प्रसिद्ध कथावाचक जया किशोरी जी की परमार्थ निकेतन में दिव्य भेंटवार्ता हुई।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट कर उन्हें हरित कथाओं के आयोजन हेतु प्रेरित करते हुये कहा कि आप युवाओं की प्रेरणास्रोत हैं। वर्तमान समय में युवाओं को अपनी जड़ों और मूल्यों से जोड़ना नितांत आवश्यक है इसलिये युवाओं को ही युवा शक्ति का अग्रदूत बनाना होगा। भारत एक युवा देश है। भारत में 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है।

15-29 वर्ष के आयु वर्ग के युवा जनसंख्या का 27.5 प्रतिशत हैं। देश को सशक्त और मजबूत करने के लिये युवाओं को कौशल और अपस्किलिंग के साथ आध्यात्मिक और सामाजिक होना भी जरूरी है।स्वामी जी ने कहा कि युवा, भारत की अद्भुत शक्ति है। सशक्त युवा, समृद्ध राष्ट्र का प्रतीक हंै। युवा, सशक्त, सक्षम और कौशल युक्त होने के साथ ही अपनी संस्कृति, मूल, मूल्यों और अपनी जड़ों से जुड़ें रहे तो पूरे राष्ट्र में एक नूतन ऊर्जा, सकारात्मकता और आध्यात्मिकता से युक्त दिव्य वातावरण का निर्माण सम्भव है।युवा शक्ति संस्कृति व संस्कारों की संवाहक हो ताकि राष्ट्र के आध्यात्मिक व आर्थिक विकास के साथ सामाजिक प्रगति व पर्यावरणीय स्थिरता सम्भव हो क्योंकि यही समय है, सही समय है और अमृत काल का समय है।स्वामी जी ने कहा कि किसी भी देश का विकास वहां की युवा शक्ति के कौशल व हुनर पर निर्भर करता है परन्तु सर्वांगीण विकास संस्कृति, संस्कार और जड़ों से जुड़कर ही सम्भव है।साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने के

लिये पौराणिक प्रसंग और कथायें सबसे उपयुक्त माध्यम है, जो युवाओं में एक नई ऊर्जा भर देती हैं। प्रसंगों के साथ आदिगुरू शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद , महाराणा प्रताप और शिवाजी का चरित्र अद्भुत संदेश देता है जिसकी आज के युवाओं को जरूरत भी है।सुश्री जया किशारी ने कहा कि समय हर किसी को अपने जीवनकाल में एक सुनहरा मौका जरूर देता है और मुझे तो प्रभु ने यह सुनहरा अवसर दूसरी बार प्रदान किया है। ऐसा लगता है जैसे मैं विगत माह ही नरसी मेहता जी की कथा ’नानी बाई का मायरा’ करने परमार्थ गंगा तट पर आयी थी और अब फिर से मुझे प्रभु में श्रीमद् भागवत का पाठ करने का अवसर प्रदान किया। वास्तव में यह अमृतकाल है इसका एहसास मुझे हो रहा है। पूज्य स्वामी जी और माँ गंगा का पावन तट मुझे सदैव ही नई ऊर्जा प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि प्रभु ने मुझे जो सेवा का अवसर प्रदान किया है उस दायित्व को पूरी निष्ठा और सामथ्र्य के साथ पूरा करूंगी। सशक्त, समर्थ और सक्षम भारत की सिद्धि हेतु एक नन्हे दीप की तरह जलती रहूंगी और माँ गंगा की कृपा से स्वामी जी ने जो पर्यावरण की ज्योति को जलाने की प्रेरणा प्रदान की उसे अपनी कथाओं के माध्यम से प्रदीप्त करती रहूंगी।स्वामी और साध्वी ने जया किशोरी को रूद्राक्ष का पौधा और सद्साहित्य भेंट किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *