बिक्रमजीत सिंह
हरिद्वार (संसार वाणी) राष्ट्रीय चिंतन शिविर हरिद्वार को मजबूती से लड़ने के लिए संगठन में ग्रामीण इकाई को मजबूत करना होगा-चौधरी राकेश टिकैत।हम सबको सरकार की गलत नीतियों को समझना होगा आने वाला समय संघर्ष के दौर का है-चौधरी युद्धवीर सिंह।हरिद्वार (उत्तराखंड)-भारतीय किसान यूनियन के द्वारा उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय चिंतन शिविर किसान कुंभ के द्वितीय दिवस आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी सहित प्रदेश कार्यकारिणी की दो सत्रों में बैठक की गई जिसमें ग्राम इकाई तक संगठन को मजबूत करने का संकल्प लिया गया।लाल कोठी पर आयोजित पंचायत में आज उत्तरप्रदेश,हरियाणा, मध्य प्रदेश,उत्तराखंड,राजस्थान,दिल्ली हिमाचलप्रदेश,पंजाब,बिहार सहित कई राज्य के किसानों ने हिस्सा लिया सभी वक्ताओं ने किसान समस्याओं को लेकर विस्तार पूर्वक चर्चा की पंचायत में ज्ञानी जैल सिंह के पौत्र इंद्रजीत सिंह रामगढ़िया विश्वकर्मा समाज के साथ में शामिल हुए।भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत जी ने पंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि खेती किसानी आज संघर्ष के दौर से गुजर रही है फसलों के भाव न होने की वजह से किसान कर्ज लेने पर मजबूर हो रहा है जिससे उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती चली जा रही है हम सबको एकजुट होकर इन विषयों के विरुद्ध संघर्ष करना होगा, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत जी ने संगठन को ग्रामीण इकाई तक मजबूती से खड़ा करने की इस पंचायत में चर्चा की साथ ही आने वाले समय में देश के किसानों के सामने आने वाली

समस्याओं से सभी को अवगत कराया,पंचायत को संबोधित करते हुए किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह जी ने कहा कि हमें सरकार की गलत नीतियों को समझना होगा आने वाला समय संघर्ष का दौरा होगा। पंचायत को भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी राजवीर सिंह जादौन ने भी संबोधित किया आज हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष रतन मान युवा प्रदेश अध्यक्ष रवि आजाद, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष राजपाल शर्मा , दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष दलजीत सिंह डागर , प्रदेश उपाध्यक्ष दानवीर सिंह सहित राष्ट्रीय कार्यकारिणी में प्रदेश कार्यकारिणी मौजूद रही।अपनी सभी मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन के द्वारा देश के प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन दिया गया जो कि – लम्बित किसान समस्याओं के निवारण के सम्बन्ध में। मान्यवर, भारत देश एक कृषि प्रधान देश है, जिसकी मुख्य कड़ी देश का अन्नदाता है। सम्पूर्ण भारत इसी के भरोसे अपने परिवारों का पेट भर रहा है, लेकिन वर्तमान की स्थिति में यह अपने वजूद को तलाश रहा है। जल, जंगल, जमीन यह तीनों हमारे लिए ऐसे हैं जैसे मनुष्य शरीर में आत्मा। इनके बिना प्रकृति का कोई अस्तित्व ही नहीं हैं। एनडीए सरकार का तीसरा कार्यकाल शुरू हो गया है, लेकिन देश के किसान-मजदूर-आदिवासी को लेकर सरकार गंभीर नहीं है। राष्ट्रीय चिंतन शिविर में पहुंचे किसानों, मजदूरों, आदिवासियों ने सरकार के इस रवैये की कठोर शब्दों में निंदा की साथ ही इन सभी

विषयों की गम्भीरता को समझते हुए चर्चा की भी मांग भी की। कृषि संकट को समाप्त करने के लिए भारतीय किसान यूनियन संयुक्त रूप से निम्नांकित मांगो को लेकर इस राष्ट्रीय चिंतन शिविर से केन्द्र सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना चाहते हैं-1. (गन्ना)- उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड सहित देशभर के किसानों की गन्ना समस्याओं को ध्यान रखते हुए सरकार बीज प्रणाली में सुधार के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन से होने वाले प्रभाव पर विशेष नीति का निर्माण करें क्योंकि कारपोरेट के दबाव में सरकार की बदलती मानसिकता से किसानहित व जनहित को हानि पहुँच रही है। सरकार जल्द इस विषय पर निर्णय ले व भाव 500 रुपये प्रति कुन्तल घोषित करें व मिलों पर बकाया भुगतान को अविलम्ब कराया जाए।2. (व्यापक ऋणमाफी)- देश का सबसे अहम वर्ग कर्ज का बोझ झेल रहा है, इसी कारण वह आत्महत्या करने पर मजबूर है। सरकारें कारपोरेट घरानों का अरबों-खरबों रुपया बिना किसी शर्त व सूचना जारी किए माफ कर देती है, इसी तरह यह पंचायत देश के किसान का सम्पूर्ण ऋणमाफ करने की मांग करती है।3. (एमएसपी गारंटी कानून/सी2$50)- देश के किसान ने वर्षों से एमएसपी को गारंटी कानून का दर्जा देने की मांग के लिए अपने संघर्ष को जारी रखा है। आज के हालात को देखते हुए देश के हर फसली किसान को इसकी आवश्यकता भी है। एनडीए की सरकार चला रहे प्रधानमंत्री जी ने पूर्व के समय में एग्रीकल्चर स्टैण्डिंग कमेटी के सदस्य के रूप में एक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग की थी। अब वह अपनी रिपोर्ट को लागू करें साथ ही सी2$50 के फार्मूले को किसान हित में लागू करें।4. (एनजीटी व जीएसटी मुक्त खेती)- देश का किसान जो भी यंत्र अपने कृषि कार्यों में उपयोग कर रहा है वह एनजीटी कानून के दायरे से बाहर किया जाए साथ ही खेती में उपयोग होने वाली सभी वस्तुएं, पदार्थ, बीज व यंत्र जीएसटी मुक्त किए

जाएं।5. (विद्युत निजीकरण व संस्था निजीकरण)- केन्द्र सरकार व बहुत से प्रदेशों की सरकारें विद्युत निजीकरण का कार्य कर रही है और कुछ पूर्व समय में कर चुकी हैं। उत्तर प्रदेश इसका दंश झेल रहा है। आगरा में किसानों पर लाखों रुपया बकाया है। इन सभी विषयों को गम्भीरता से लेते हुए विद्युत निजीकरण को रोका जाए साथ ही सरकार के द्वारा जारी देश की किसी भी संस्था के निजीरकण (जो आमजनजीवन को प्रभावित करती है) को भी तत्काल प्रभाव से बन्द किया जाए।6. (जेनेटिकली मोडिफाईड(जीएम) बीज)- देश में सरकार जीएम बीजों को लाने का कार्य कर रही है, जो मानव जीवन, पर्यावरण व खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं। पूर्व में बीटी कॉटन/एचटी बीटी कॉटन का दंश देश आज तक झेल रहा है। जिसके दुष्परिणाम की अनेकों रिपोर्ट सोशन मीडिया आदि के प्लेटफार्म पर प्रचारित हैं। भारतीय किसान यूनियन इस प्रकार के किसी भी ट्रायल को देशभर में नहीं होने देगा।7. (भूमि अधिग्रहण)- देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों व संस्थाओं के निर्माण के लिए किसानों की जमीने अधिग्रहीत की जा रही है। किसी भी भूमि का उचित मुआवजा किसानों को नहीं दिया जा रहा है, जिसे लेकर देशभर में किसान आन्दोलन कर रहे हैं। सरकार एलएआरआर अधिनियम 2013 को लागू करने का कार्य करें साथ ही किसानों के शोषण को देशभर में बन्द करें।8. (एनपीएफ ऑन एएम)- केन्द्र सरकार हाल ही के समय में नेशनल पॉलिसी फ्रेम वर्क ऑन एग्रीकल्चर मार्केटिंग का नया कृषि मसौदा नीति लेकर आयी है। यह राज्य व किसानों के अधिकारों पर प्रहार है। इसे तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।जारीकर्ता केंद्रीय कार्यालय भारतीय किसान यूनियन