जिलाधिकारी मयूर दीक्षित तथा एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने किया कांवड़ पटरी मार्ग निरीक्षण किया तथा सीसीटीवी व ड्रोन कैमरों की जा रही निगरानी के बारे में विस्तार से जानकारी…

बिक्रमजीत सिंह

हरिद्वार (हमारी चौपाल) जिलाधिकारी मयूर दीक्षित तथा एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने शनिवार को कांवड़ पटरी मार्ग का औचक निरीक्षण किया तथा सिटी कंट्रोल रूम पहुंचकर सीसीटीवी व ड्रोन कमरों से की जा रही निगरानी के बारे में विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने निरीक्षण के दौरान कांवड़ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं हेतु की गई व्यवस्थाओं तथा संचालित विभिन्न गतिविधियों का गहनता से परीक्षण करते हुए महत्वपूर्ण दिशा निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। निरीक्षण के दौरान कांवड़ पटरी मार्ग पर पेयजल, शौचालय सहित की गई विभिन्न व्यवस्थाओं का विस्तार से जायज़ा लिया। उन्होंने निरीक्षण के दौरान तैनात कार्मिकों को पूरी मुस्तैदी से तैनात रहने तथा श्रद्धालुओं व जन सुविधाओं का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए। उन्होंने मार्ग पर तैनात पुलिस कर्मियों को संदिग्ध व्यक्तियों पर पैनी नज़र बनाए रखने तथा सुरक्षात्मक दृष्टि से सभी महत्वपूर्ण कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कांवड़ियों से वार्ता करते हुए की गई व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली, जिस पर कांवड़ियों ने मार्ग पर की गई व्यवस्थाओं की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तथा जिला प्रशान की सराहना की।

इसके पश्चात उन्होंने सिटी कंट्रोल रूम पहुंचकर ड्रोन व सीसीटीवी कैमरों से की जा रही निगरानी, ट्रैफिक कंट्रोल, शान्ति एवम् कानून व्यस्ताओं की विस्तार से जानकारी ली।[12/07, 16:05] +91 97600 33369: **उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की डोईवाला में संवेदनात्मक भेंट: नाबालिग बालिका की मृत्यु के मामले में सख्त कार्रवाई का आश्वासन**देहरादून, 12 जुलाई ( हमारी चौपाल) उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना के नेतृत्व में आयोग की टीम ने डोईवाला, देहरादून के केशवपुरी बस्ती, मजनूवली गली में स्क्रीनिंग प्लांट पर मिली नाबालिग बालिका की मृत्यु के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए स्थल निरीक्षण किया। इस दुखद घटना ने स्थानीय लोगों में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।डॉ. खन्ना, सचिव डॉ. एस.के. बरनवाल, अनु सचिव डॉ. एस.के. सिंह और बाल मनोवैज्ञानिक डॉ. निशात इकबाल ने पीड़ित परिवार से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की। डॉ. खन्ना ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच पूर्ण पारदर्शिता और निष्पक्षता से होगी। आयोग ने जिला प्रशासन और पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और पीड़ित परिवार को हरसंभव कानूनी सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है।बैठक में डॉ. खन्ना ने पुलिस से बाहरी व्यक्तियों, विशेषकर पड़ोसी जिलों से आने वाले श्रमिकों के सत्यापन की प्रक्रिया पर

सवाल उठाए। उन्होंने संदिग्ध गतिविधियों में शामिल व्यक्तियों के रिकॉर्ड रखने और उनके मूल क्षेत्र से पलायन के कारणों की जांच के लिए पुलिस को निर्देशित किया। साथ ही, नागरिकों को आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरों (100, 112, 1098) का उपयोग करने की सलाह दी।निरीक्षण के दौरान आयोग को एक कुपोषित बालिका दिखी, जो संभवतः क्वाशिओरकर जैसी गंभीर पोषण समस्या से पीड़ित थी। डॉ. खन्ना ने स्वास्थ्य विभाग को तत्काल क्षेत्र के सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करने और पोषण योजनाओं जैसे WIFS प्रोग्राम से जोड़ने के निर्देश दिए। आंगनवाड़ी को भी इस संबंध में सक्रिय भूमिका निभाने को कहा गया।आयोग के संज्ञान में खुरबुरा इलाके में एक व्यक्ति द्वारा महिलाओं और बच्चों को परेशान करने का मामला भी आया। इस व्यक्ति ने हाल ही में एक नाबालिग बच्ची को प्रताड़ित किया। आयोग ने चौकी इंचार्ज को इसकी पूरी जांच कर रिपोर्ट सौंपने और उक्त व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य जांच कराने का निर्देश दिया। डॉ. खन्ना ने स्पष्ट किया कि मानसिक स्थिति के आधार पर किसी की गलत हरकतों को नजरअंदाज करना असंवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। भविष्य में ऐसी लापरवाही पर आयोग सख्त कार्रवाई की सिफारिश करेगा।डॉ. गीता खन्ना ने कहा, “उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और अधिकारों के प्रति पूर्णतः प्रतिबद्ध है। किसी भी प्रकार की लापरवाही या शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम संवेदनशील क्षेत्रों में सक्रियता बढ़ाने और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए सभी विभागों को दिशा-निर्देश जारी करेंगे।”आयोग ने संबंधित विभागों से प्रभावी बाल सुरक्षा तंत्र स्थापित करने और संवेदनशील क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने की अपील की है।

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