परमार्थ निकेतन पधारे बागेश्वर धाम सरकार, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महाराज

बिक्रमजीत सिंह

ऋषिकेश (संसार वाणी) 24 जुलाई। परमार्थ निकेतन में बागेश्वर धाम सरकार, धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री पधारे। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने वेदमंत्रों, शंख ध्वनि एवं पुष्पवर्षा कर उनका अभिनन्दन किया। बागेश्वर धाम सरकार ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंटकर विश्व शान्ति यज्ञ व गंगा जी की आरती में सहभाग किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सनातन संस्कृति के ध्वज को पूरे विश्व में बड़ी ही दिव्यता, सात्विकता, सरलता, सजगता और दृढ़ता के साथ फहराने का कार्य किया हैं।

धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने पूरे विश्व को भारत माता की दिव्य संस्कृति के दर्शन कराये हैं। उन्होंने अपने पूर्वजों व गुरूओं से जो ज्ञान प्राप्त किया उसे वे पूरे विश्व में बांट रहे हैं। अपनी शक्ति, भक्ति और सामर्थ्य को जन कल्याण हेतु समर्पित कर एक आस्थावान समृद्ध समाज के निर्माण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हैं। पूज्य संतों के माध्यम से सनातन गंगा का प्रवाह निरंतर प्रवाहित हो रहा है क्योंकि सनातन है तो हम हैं; सनातन है तो स्थिरता है; सनातन है तो समानता, सद्भाव और सुरक्षा हैं। वर्तमान में पूरे विश्व में गंगा जी के निर्मल प्रवाह की तरह सनातन संस्कृति और संस्कारों का प्रवाह सतत प्रवाहित हो रहा है। भारत के कण-कण में सनातन का नाद समाहित है उसकी तरंगे सभी के हृदय में गूंजायमान हो यही संतों का संदेश हैं।

स्वामीजी ने कहा कि जीवन में साधना की ऊर्जा का संचरण अर्जुन की तरह होना चाहिये। बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि पूज्य स्वामी जी महाराज भारतीय संस्कृति व प्रकृति के संरक्षक व उन्नायक हैं, उनका प्रत्येक संदेश गंगा जी, प्रकृति व पर्यावरण के लिये होता है।उन्होंने कहा कि परमार्थ निकेतन दूसरी बार आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। परमार्थ निकेतन आने पर लगता है जैसे अपने ही घर पहुंच गयें। जीवन को जीने के दो रास्ते हैं एक है अर्थ के माध्यम से दूसरा परमार्थ के माध्यम से। अधिकांश लोग अर्थ के माध्यम से जीवन जीते हैं परन्तु धन्य है पूज्य स्वामी जी आप परमार्थ के लिये जीते हैं।

आपने पूरी दुनिया को एक नई दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा विचारों व मन का पवित्र होना बहुत जरूरी हैं। जीवन में सब कुछ होता है पर मन ठीक नहीं होता इसलिये पूज्य संतों का सान्निध्य, साधना व ध्यान को जीवन का अंग बनाना होगा क्योंकि जिनके पास साधना की शक्ति है उनके पास सब कुछ है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर बागेश्वर धाम सरकार का अभिनन्दन किया।

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