मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के नेतृत्व में उत्तराखंड योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी के रूप में अग्रसर

बिक्रमजीत सिंह

ऋषिकेश (संसार वाणी) 19 सितम्बर। आध्यात्म, योग, ध्यान, चार धामों की पवित्रता, मां गंगा की निर्मल धारा और हिमालय की दिव्यता से परिपूर्ण देवभूमि उत्तराखंड ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के दूरदर्शी नेतृत्व में उत्तराखंड ने देश की पहली योग नीति लागू की है। यह कदम न केवल प्रदेश की पहचान को और सशक्त करेगा, बल्कि उत्तराखंड, भारत को विश्व पटल पर योग और वेलनेस की वैश्विक राजधानी बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक अवसर प्रदान करेगा। इस हेतु स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने बिना थके, बिना रूके निरंतर कार्य करने वाले प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी को शुभकामनायें दी।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज पूरी दुनिया शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की खोज में है। कोरोना महामारी के बाद से योग और ध्यान का महत्व वैश्विक स्तर पर और अधिक बढ़ गया है। अमेरिका से यूरोप, अफ्रीका से एशिया तक, हर जगह लोग भारतीय योग परंपरा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे समय में उत्तराखंड का यह प्रयास, भारत की सॉफ्ट पावर को और मजबूत करेगा और विश्वभर से स्वास्थ्य-पर्यटन को बढ़ावा देगा।
योग, भारत की सनातन परंपरा का अमूल्य उपहार है। वेदों और उपनिषदों से लेकर महर्षि पतंजलि तक, योग ने जीवन के हर आयाम को संतुलित करने की शिक्षा दी है। गीता में भी योग को समत्वं योग उच्यते कहा गया है। उत्तराखंड की योग नीति सनातन संस्कृति के इस संदेश को आगे बढ़ाते हुए, विश्व को संदेश देगी कि कैसे योग केवल शरीर नहीं बल्कि आत्मा और ब्रह्मांड के बीच एक सेतु है।
योग, केवल आसन और प्राणायाम तक सीमित नहीं है। यह जीवन जीने की कला है। योग की आठ अवस्थाएँ, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि साधक को पूर्णता की ओर ले जाती हैं। उत्तराखंड सरकार की यह पहल योग को समग्र दर्शन के रूप में प्रस्तुत करेगी। इससे आने वाली पीढ़ियों को यह सीखने का अवसर मिलेगा कि जीवन में संतुलन और शांति कैसे प्राप्त की जा सकती है।
योग नीति केवल पर्यटन या आध्यात्म तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक प्रभाव भी बहुत गहरा होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में योग केंद्रों और प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। युवा वर्ग, जो आज तनाव और अवसाद जैसी समस्याओं से जूझ रहा है, योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति और ऊर्जा प्राप्त करेगा। सभी आयुवर्ग के लोग इस नीति से विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।
योग केवल शरीर और मन को संतुलित नहीं करता, बल्कि यह प्रकृति के साथ सामंजस्य की शिक्षा भी देता है। हिमालय, गंगा और हरे-भरे वनों से युक्त उत्तराखंड इस नीति के माध्यम से न केवल योग को बढ़ावा देगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा। पर्यावरणीय पर्यटन और योग को जोड़कर, यह राज्य टिकाऊ विकास की मिसाल पेश करेगा।
ऋषिकेश पहले से ही योग कैपिटल आफ द वल्र्ड के रूप में प्रसिद्ध है। हर साल लाखों साधक और पर्यटक यहाँ योग, ध्यान और आध्यात्म का अनुभव लेने आते हैं। नई योग नीति इस पहचान को और मजबूत करेगी और उत्तराखंड को वास्तविक अर्थों में वैश्विक योग एवं वेलनेस की राजधानी के रूप में स्थापित करेगी।
माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी का यह संकल्प है कि उत्तराखंड न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में योग, आयुर्वेद और वेलनेस का केंद्र बने। उनके अनुसार योग भारत की आत्मा है, और उत्तराखंड उसकी धड़कन। इस नीति के माध्यम से हम आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे।
उत्तराखंड की पहली योग नीति देश और दुनिया को यह संदेश देती है कि जब परंपरा और आधुनिकता का संगम होता है, तो विकास केवल आर्थिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सामाजिक स्तर पर भी संभव होता है। यह नीति उत्तराखंड को न केवल भारत की बल्कि विश्व की आध्यात्मिक धरोहर के रूप में स्थापित करेगी।

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